पुरुषोत्तम कुण्डलिया
पुरुषोत्तम कुण्डलिया
रहना सीखो प्रेमवत, कर ईश्वर को याद।
आजीवन करते रहो, ईश्वर से फरियाद।।
ईश्वर से फरियाद,देत है सबको वांछित।
मनोकामना पूर्ण, सकल मन में जो संचित।।
कहें मिसिर कविराय, बात सब उनसे करना।
"ईश्वर शरणं गच्छ", चरण में उनके रहना।।
ममता रख श्री राम से, चल उनके ही संग।
राम रंग सबसे सुखद, अन्य रंग वदरंग।।
अन्य रंग वदरंग, राम का रोगन पावन।
मन होता खुशहाल, देखता शिव का सावन।।
कहें मिसिर कविराय,राम में जो भी रमता।
उसके उर में वास, सदा करती है ममता।।
समता पावन मंत्र का, नित करना अभ्यास।
सतत चलो बढ़ते रहो,करते रहो प्रयास।।
करते रहो प्रयास, त्याग दो सकल निराशा।
मानवता का वेश,जगाये जग में आशा।।
कहें मिसिर कविराय, सुखी हो सारी जनता।
जब आये संतोष,मनुज में जागे समता।।
Renu
23-Jan-2023 03:40 PM
👍👍🌺
Reply